उत्तराखंड राज्य इस समय भारी वर्षा के कारण गंभीर बाढ़ और व्यवधानों से जूझ रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 11 अगस्त, 2025 तक कई जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया था, जिसमें उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर शामिल थे। इन जिलों में 13 सेमी से अधिक वर्षा की संभावना जताई गई थी। देहरादून और बागेश्वर में स्कूलों को भी भारी बारिश के कारण बंद रखना पड़ा। राज्य के कई हिस्सों में भूस्खलन और लगातार बारिश के कारण 72 से अधिक सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, जिससे 40,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। चमोली जिले में भूस्खलन ने एक महत्वपूर्ण मार्ग को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे कई दूरदराज के गांवों का जिला मुख्यालय और तीर्थ स्थलों से संपर्क टूट गया है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में देहरादून, नैनीताल, चंपावत, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जिलों के लिए फ्लैश फ्लड की चेतावनी भी जारी की है।
यह स्थिति 5 अगस्त, 2025 को उत्तरकाशी जिले के धऱाली गांव में बादल फटने से शुरू हुई, जिससे विनाशकारी बाढ़ आई। इस घटना में लगभग 20-30 घर, दुकानें, होटल और सड़कें बह गईं। इस आपदा में कम से कम छह लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 50 से अधिक नागरिक और 11 सेना के जवान लापता हैं। पिछले दशक में, राज्य में बाढ़ और भूस्खलन ने 705 लोगों की जान ली है, जिसमें अकेले बाढ़ से 389 लोगों की मौत हुई है। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित विकास के बढ़ते प्रभावों को दर्शाती है, जिससे हिमालयी क्षेत्र की जल विज्ञान प्रणाली में अप्रत्याशित परिवर्तन हो रहे हैं। अधिकारियों ने उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।