राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। शुक्रवार को भारी वर्षा के कारण कई इलाकों में जलभराव हो गया, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग 552 पर एक महत्वपूर्ण पुलिया ढह गई। सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन पर जलमग्न पटरियों के कारण ट्रेनों का आवागमन प्रभावित हुआ है, जिससे प्रमुख शहरों की ओर जाने वाली ट्रेनों में देरी हो रही है। सड़क संपर्क भी कई जगहों पर टूट गया है, और अधिकारियों ने लोगों से प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा न करने की अपील की है।
इस गंभीर मौसम की स्थिति के चलते रणथंभौर बाघ अभयारण्य में पर्यटकों के लिए सफारी को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है। मौसम विभाग ने जयपुर और आसपास के जिलों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे निवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। यह स्थिति राज्य में मानसून की सक्रियता को दर्शाती है, जो पिछले कुछ दिनों से जारी है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने स्वयं प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को तत्काल राहत और पुनर्वास कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने स्कूलों, आंगनवाड़ियों, अस्पतालों और सड़कों की मरम्मत को प्राथमिकता देने तथा आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बिजली, सड़क और संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं को जल्द से जल्द बहाल करने पर जोर दिया है। राज्य सरकार हर साल बारिश और बाढ़ से होने वाली समस्याओं के दीर्घकालिक समाधान पर भी काम कर रही है।
रणथंभौर बाघ अभयारण्य में सफारी के निलंबन से पर्यटन पर भी असर पड़ा है। हाल ही में, 16 अगस्त को, एक सफारी वाहन के खराब होने के बाद लगभग 20 पर्यटक पार्क के जोन 6 में फंस गए थे, जिससे पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं। इस घटना के बाद, वन विभाग ने संबंधित गाइड और चालकों के खिलाफ जांच लंबित रखते हुए कार्रवाई की है और सफारी संचालन में सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा की जा रही है।
मौसम विभाग द्वारा जारी ऑरेंज और येलो अलर्ट के बीच, स्थानीय प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है और नागरिकों से अनावश्यक यात्रा से बचने और सतर्क रहने की अपील कर रहा है। यह स्थिति प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने और भविष्य की चुनौतियों के लिए बेहतर तैयारी करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। राजस्थान के इतिहास में, विशेष रूप से सवाई माधोपुर जैसे जिलों ने 1968, 1971 और 1981 जैसे वर्षों में भी बाढ़ का अनुभव किया है, जो बुनियादी ढांचे और जीवन को नुकसान पहुंचाती रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारी वर्षा वाले दिनों में वृद्धि हो रही है, जो इस क्षेत्र के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।