नई वैज्ञानिक खोजों से पता चलता है कि ला नीना की स्थिति अटलांटिक महासागर में तूफानों के विकास को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दे सकती है। 'जर्नल ऑफ क्लाइमेट' में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण अध्ययन के अनुसार, ला नीना के दौर में अफ्रीकी पूर्वीय तरंगें (African Easterly Waves - AEWs) अधिक शक्तिशाली, आर्द्र और गरज के साथ अधिक सक्रिय हो जाती हैं। ये तरंगें पश्चिम अफ्रीका में वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करने के साथ-साथ अटलांटिक बेसिन में तूफानों के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु के रूप में कार्य करती हैं। यह शोध इस बात पर प्रकाश डालता है कि ला नीना का इन तरंगों पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिससे संभावित रूप से अधिक सक्रिय तूफान का मौसम आ सकता है।
ला नीना, अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) नामक एक बड़े जलवायु पैटर्न का एक ठंडा चरण है। ENSO में अल नीनो (गर्म चरण) और ला नीना (ठंडा चरण) शामिल हैं, जो प्रशांत महासागर में सतह के तापमान में बदलाव से जुड़े हैं। ला नीना के दौरान, प्रशांत के मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से ठंडा हो जाता है। यह बदलाव वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचरण को प्रभावित करता है, और अटलांटिक में, इसका एक प्रमुख परिणाम ऊर्ध्वाधर पवन अपरूपण (vertical wind shear) में कमी है। यह वायुमंडलीय स्थिति तूफानों के निर्माण और तीव्रता के लिए अत्यंत अनुकूल होती है, क्योंकि उच्च पवन अपरूपण तूफानों की संरचना को बाधित कर सकता है, जबकि कम अपरूपण उन्हें व्यवस्थित होने और मजबूत होने की अनुमति देता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी के रोसेनस्टिल स्कूल ऑफ मरीन, एटमॉस्फेरिक, एंड अर्थ साइंस और नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NCAR) के वैज्ञानिकों के एक दल ने इस संबंध को गहराई से समझने के लिए एक अभूतपूर्व अध्ययन किया। उन्होंने QTrack नामक एक उन्नत ट्रैकिंग टूल का उपयोग करके चार दशकों से अधिक के वैश्विक मौसम डेटा का गहन विश्लेषण किया। इस विस्तृत विश्लेषण से पता चला कि ला नीना वर्षों के दौरान, अफ्रीकी पूर्वीय तरंगें न केवल अधिक मजबूत और आर्द्र होती हैं, बल्कि उनमें गरज के साथ अधिक गतिविधि भी देखी जाती है। ये तरंगें अटलांटिक में बनने वाले अधिकांश तूफानों, विशेष रूप से प्रमुख तूफानों के लिए एक महत्वपूर्ण "बीज" का काम करती हैं। पिछले शोधों से पता चलता है कि अटलांटिक में आने वाले लगभग 80% प्रमुख तूफानों का संबंध AEWs से होता है।
इस प्रकार की गहन वैज्ञानिक समझ, जो वैश्विक जलवायु पैटर्न और उनके क्षेत्रीय प्रभावों के बीच जटिल संबंधों को उजागर करती है, मौसमी मौसम की भविष्यवाणियों की सटीकता को बढ़ाने में अमूल्य है। यह ज्ञान उन समुदायों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो तूफान-प्रवण क्षेत्रों में रहते हैं, क्योंकि यह उन्हें बेहतर तैयारी करने, जोखिमों का आकलन करने और संभावित खतरों का सामना करने के लिए सशक्त बनाता है। यह शोध हमें वैश्विक जलवायु प्रणालियों की अंतर्संबंधिता की याद दिलाता है, जहाँ प्रशांत महासागर में होने वाले परिवर्तन अटलांटिक में तूफानों की तीव्रता को प्रभावित कर सकते हैं। प्रकृति के इन चक्रों को गहराई से समझकर, हम न केवल आने वाले तूफानों के लिए अधिक प्रभावी ढंग से तैयार हो सकते हैं, बल्कि अपने समुदायों की सुरक्षा और लचीलेपन को भी मजबूत कर सकते हैं।