14 अगस्त, 2025 को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में हुई मूसलाधार बारिश ने शहर को जलमग्न कर दिया, जिससे व्यापक जलभराव और यातायात में भारी व्यवधान उत्पन्न हुआ। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने क्षेत्र के लिए 'ऑरेंज अलर्ट' जारी किया, जो आगे भी मध्यम से भारी बारिश, गरज-चमक और बिजली गिरने की संभावना को दर्शाता है। पिछले 24 घंटों में, सफदरजंग मौसम केंद्र में 13.1 मिमी और आयानगर में 57.4 मिमी बारिश दर्ज की गई। इस दौरान न्यूनतम तापमान गिरकर 23.6 डिग्री सेल्सियस पर आ गया, जो सामान्य से 3.2 डिग्री सेल्सियस कम था। शहर के कई प्रमुख इलाकों में गंभीर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई, जैसे लाजपत नगर और आरके पुरम, जहाँ सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया, जिससे यातायात का प्रवाह बुरी तरह प्रभावित हुआ। दिल्ली यातायात पुलिस ने यात्रियों को पुराने जीटी रोड जैसे जलमग्न मार्गों से बचने की सलाह दी, क्योंकि कई स्थानों पर जलजमाव के कारण लंबा जाम लग गया था। गुरुग्राम में भी बसई रोड जैसे स्थानों पर जलभराव की खबरें थीं, जिसने सुबह के व्यस्त समय में यात्रियों को काफी परेशानी में डाला।
इस बीच, यमुना नदी का जलस्तर ओल्ड रेलवे ब्रिज पर चेतावनी स्तर 204.50 मीटर के करीब पहुंचकर 204.43 मीटर पर आ गया। अधिकारियों ने स्थिति पर कड़ी नजर रखी है, क्योंकि हरियाणा और उत्तराखंड के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों से छोड़े गए पानी के कारण नदी के जलस्तर में वृद्धि देखी गई। यह स्थिति संभावित बाढ़ की आशंकाओं को बढ़ाती है, जिसके लिए संबंधित एजेंसियां एहतियाती कदम उठा रही हैं। यह घटना दिल्ली की मानसून के प्रति तैयारियों की एक बार फिर परीक्षा लेती है। शहर की जल निकासी व्यवस्था, जो लगभग 50 साल पहले डिजाइन की गई थी, अक्सर 50 मिमी जैसी मध्यम वर्षा को भी संभालने में संघर्ष करती है। जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के पैटर्न में आ रहे बदलाव, जिसमें तीव्र और स्थानीयकृत वर्षा की घटनाएं बढ़ रही हैं, शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। अनियोजित शहरी विकास और प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियों की उपेक्षा ने इन समस्याओं को और गहरा किया है। इसके अतिरिक्त, कई शहरी क्षेत्रों में अनएकत्रित कचरा जल निकासी को अवरुद्ध कर देता है, जिससे जलभराव की स्थिति और गंभीर हो जाती है।