दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में मूसलाधार मानसून की बारिश ने भारी तबाही मचाई है। भारत और पाकिस्तान में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से कम से कम 120 लोगों की मौत हो गई है। पिछले 24 घंटों में, इन विनाशकारी घटनाओं ने कई समुदायों को प्रभावित किया है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ है।
भारतीय कश्मीर के हिमालयी क्षेत्र में, 14 अगस्त, 2025 को चोस्ती गांव में एक बादल फटने की घटना ने विशेष रूप से गंभीर स्थिति पैदा कर दी। इस आपदा में लगभग 60 लोगों की जान चली गई और 200 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। बाढ़ ने मचैल माता यात्रा पर तीर्थयात्रियों की सेवा करने वाले एक सामुदायिक रसोईघर को भी अपनी चपेट में ले लिया। यह धार्मिक यात्रा 25 जुलाई को शुरू हुई थी। बचाव अभियान जारी हैं, और अब तक 300 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है और उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में भी स्थिति गंभीर है, जहां कम से कम 49 लोगों की मौत हुई है और 17 लोग अभी भी लापता हैं। मनसेहरा जिले की सिरान घाटी में, बाढ़ और भूस्खलन के कारण फंसे 1,300 पर्यटकों को सुरक्षित निकाला गया है। कराकोरम राजमार्ग जैसे महत्वपूर्ण मार्ग भी कई भूस्खलनों के कारण बाधित हुए हैं, जो इन चरम मौसम की घटनाओं के व्यापक प्रभाव को दर्शाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन इन मानसून-संबंधी घटनाओं की बढ़ती तीव्रता और आवृत्ति का एक प्रमुख कारण है। उदाहरण के लिए, 2025 में हिमाचल प्रदेश में जून और जुलाई के बीच बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण 173 लोगों की मौत हुई थी। इसी तरह, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में, 15 अगस्त, 2025 तक 206 लोगों की मौत की सूचना मिली थी, जिसमें बुनेर जिले में सबसे अधिक 78 मौतें शामिल थीं। इन घटनाओं ने न केवल जीवन का नुकसान किया है, बल्कि बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। कई घर, सड़कें और पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों में बाधा आ रही है। सरकारें और बचाव दल प्रभावित लोगों की सहायता के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन खराब मौसम और दुर्गम इलाके इन प्रयासों में चुनौतियां पेश कर रहे हैं। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है।