चीन के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी की गहराइयों में जीवन के एक ऐसे तंत्र का खुलासा किया है जो भूकंपों से ऊर्जा प्राप्त करता है। यह खोज उन सूक्ष्मजीवों के अस्तित्व की व्याख्या करती है जो सूर्य के प्रकाश और सतह के कार्बनिक पदार्थों से दूर, पृथ्वी की पपड़ी के नीचे पनपते हैं। गुआंगज़ौ इंस्टीट्यूट ऑफ जियोकेमिस्ट्री, चीनी विज्ञान अकादमी के प्रोफेसर हे होंग्लिन और प्रोफेसर चू जियान के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन को 7 अगस्त, 2025 को प्रकाशित किया गया था। यह शोध बताता है कि भूकंप पृथ्वी की पपड़ी में दरारें पैदा करते हैं, जिससे हाइड्रोजन (H₂) और हाइड्रोजन पेरोक्साइड (H₂O₂) जैसे ऑक्सीडेंट उत्पन्न होते हैं। ये पदार्थ गहरे भू-भाग में रहने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करते हैं।
पहले यह माना जाता था कि ये गहरे क्षेत्र जीवन का समर्थन करने में असमर्थ हैं, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि एक विशाल और सक्रिय जीवमंडल मौजूद है जो पानी और चट्टानों के बीच होने वाली रेडॉक्स प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा प्राप्त करता है। प्रयोगों में, वैज्ञानिकों ने चट्टानों के टूटने से उत्पन्न मुक्त कणों को पानी के अणुओं को विभाजित करते हुए पाया, जिससे हाइड्रोजन और ऑक्सीडेंट बनते हैं। ये पदार्थ दरारों के भीतर एक विशिष्ट रेडॉक्स ग्रेडिएंट बनाते हैं और भूजल व चट्टानों में मौजूद लोहे के साथ प्रतिक्रिया करके उसके ऑक्सीकरण अवस्था को बदलते हैं। विशेष रूप से, सूक्ष्मजीवों से भरपूर दरारों में, भूकंपीय गतिविधि से उत्पन्न हाइड्रोजन की मात्रा अन्य ज्ञात तंत्रों, जैसे कि सर्पेंटिनाइजेशन या रेडियोधर्मी क्षय से उत्पन्न हाइड्रोजन की तुलना में 100,000 गुना अधिक हो सकती है। यह प्रक्रिया न केवल लोहे के ऑक्सीकरण-अपचयन चक्र को बढ़ावा देती है, बल्कि कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर जैसे अन्य भू-रासायनिक तत्वों को भी प्रभावित करती है, जिससे भूमिगत सूक्ष्मजीवों का चयापचय बना रहता है। यह खोज खगोल जीव विज्ञान (astrobiology) के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखती है, क्योंकि यह अन्य ग्रहों पर सूर्य के प्रकाश के बिना जीवन की संभावना को खोलती है। मंगल या बृहस्पति की बर्फीली चंद्रमा यूरोपा जैसी जगहों पर भी इसी तरह की दरारें जीवन को बनाए रखने में सक्षम हो सकती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तंत्र पृथ्वी के समान संरचना वाले ग्रहों पर मौजूद हो सकता है, जिससे ब्रह्मांड में जीवन की खोज के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त होता है। यह शोध इस बात पर प्रकाश डालता है कि जीवन अपनी ऊर्जा के लिए अप्रत्याशित स्रोतों का उपयोग कर सकता है, जो हमें ब्रह्मांड में जीवन की व्यापकता के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।