शोधकर्ताओं ने समुद्र में एक बिल्कुल नए प्रकार के जीवाणु की खोज की है, जिसे पोंटिमाइक्रोबियम SW4 कहा जाता है। यह छोटा सा जीव, जो कोरिया के पश्चिमी सागर में पाया गया है, कुछ खास प्रतिभाएं रखता है। यह जटिल शर्करा को तोड़ सकता है, जो हमारे महासागरों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ी बात है।
इसे इस तरह समझें: पोंटिमाइक्रोबियम SW4 एक सूक्ष्म सफाईकर्मी है। यह जटिल कार्बोहाइड्रेट को खा जाता है, जिससे समुद्री वातावरण में कार्बन को रीसायकल करने में मदद मिलती है। जीवाणु छड़ के आकार के होते हैं और सरककर घूमते हैं। उन्हें विशिष्ट परिस्थितियाँ पसंद हैं - एक निश्चित तापमान, पानी कितना अम्लीय या क्षारीय है (pH), और यह कितना नमकीन है। वैज्ञानिकों ने इसके डीएनए को बारीकी से देखा और पाया कि इसमें उन शर्करा को तोड़ने के लिए बहुत सारे उपकरण (एंजाइम) हैं।
लेकिन इतना ही नहीं! जीवाणुओं में ऐसे जीन भी होते हैं जो उन्हें भारी धातुओं से निपटने में मदद करते हैं। इसका मतलब है कि वे भविष्य में प्रदूषण को साफ करने के लिए उपयोगी हो सकते हैं। साथ ही, वे मजबूत भी हैं! उनके पास ऐसे जीन हैं जो उन्हें ज्वारीय फ्लैटों के कठोर, बदलते वातावरण में जीवित रहने में मदद करते हैं, जैसे कि भारत के तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह खोज हमें बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है कि कैसे छोटे जीव महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं, जो गंगा जैसी पवित्र नदियों के स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह खोज समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के महत्व को दर्शाती है।