50 से अधिक सरकारों का एक गठबंधन 70 से अधिक शार्क और रे मछली प्रजातियों के लिए बढ़ी हुई सुरक्षा पर जोर दे रहा है। यह पहल समरकंद, उज्बेकिस्तान में 2025 के अंत में होने वाले CITES के पक्षकारों के 20वें सम्मेलन (CoP20) से पहले की जा रही है।
प्रस्तावों का उद्देश्य इन प्रजातियों को CITES परिशिष्ट I के तहत सूचीबद्ध करना है, जो सभी अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक व्यापार पर प्रतिबंध लगाएगा। ओशनिक व्हाइटटिप शार्क, जिसमें 90% की गिरावट आई है, और व्हेल शार्क, जिसकी आबादी में 50% से अधिक की गिरावट आई है, प्रमुख लक्ष्य हैं। भारत में भी इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाई जा रही है, क्योंकि ये समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
गंभीर रूप से लुप्तप्राय वेजफिश और गिटारफिश रे मछलियों के लिए अस्थायी "शून्य कोटा" उपायों का प्रस्ताव है। संयुक्त राज्य अमेरिका, शार्क स्टीवर्ड्स जैसे संगठनों के साथ मिलकर इन प्रयासों का सक्रिय रूप से समर्थन कर रहा है। ये उपाय इन प्रजातियों की तेजी से हो रही गिरावट को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत में, गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फ़िन जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए भी इसी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, जो दिखाते हैं कि जैव विविधता का संरक्षण कितना महत्वपूर्ण है।