Rondonópolis, ब्राज़ील में, Ribeirão Arareau नदी के किनारों को पुनर्जीवित करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। 'ओ रियो é नोसो' परियोजना के 11वें संस्करण के तहत, 20 सितंबर, 2025 को तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 650 से अधिक देशी पौधे लगाए गए। इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य नदी के किनारे की वनस्पति को फिर से स्थापित करना और नदी तल में गाद जमने व प्रदूषण की समस्या से निपटना है।
यह परियोजना माटो ग्रोसो के न्यायपालिका के नेतृत्व में हुई, जिसमें 44 सहयोगी संस्थाओं ने भाग लिया। इनमें सार्वजनिक निकाय, शैक्षणिक संस्थान, लोक अभियोजन, निजी कंपनियाँ और सामुदायिक स्वयंसेवक शामिल थे। Ribeirão Arareau, जो Rio Vermelho की एक सहायक नदी है, पिछले कुछ समय से अनियमित कचरा निपटान के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। इस परियोजना के तहत नदी के 7.5 किलोमीटर के हिस्से की सफाई की गई।
यह सामाजिक एकजुटता प्रयास केवल कचरा हटाने तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य जल संसाधनों और पर्यावरण के संरक्षण के महत्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना भी था। यह परियोजना सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ भी संरेखित है, जिसमें स्वच्छ जल, टिकाऊ शहर, जिम्मेदार उपभोग और जलवायु कार्रवाई जैसे लक्ष्य शामिल हैं।
माटो ग्रोसो राज्य, जो ब्राज़ील का एक प्रमुख कृषि उत्पादक है, अपने टिकाऊ विकास के प्रयासों के लिए जाना जाता है। राज्य ने 2035 तक कार्बन तटस्थ बनने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, और इस तरह की परियोजनाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। Ribeirão Arareau जैसी नदियों का पुनरुद्धार न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ब्राज़ील के व्यापक पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी सहायक है।
नदी के किनारे वनों की बहाली, जिसे रिपेरियन वन बहाली भी कहा जाता है, जल की गुणवत्ता में सुधार और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अध्ययनों से पता चला है कि ये वनस्पति क्षेत्र मिट्टी के कटाव को रोकने और जलमार्गों में गाद और पोषक तत्वों के प्रवाह को नियंत्रित करने में प्रभावी होते हैं। माटो ग्रोसो में इस तरह के प्रयास, जो कृषि के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी महत्व देते हैं, भविष्य के लिए एक स्थायी मॉडल प्रस्तुत करते हैं। यह पहल दर्शाती है कि कैसे सामुदायिक भागीदारी और विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना किया जा सकता है और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सकता है।