कंबोडिया का पर्यावरण मंत्रालय बट्टमबांग प्रांत में नोम सैम्पोव और नोम बनन को प्राकृतिक विरासत स्थलों के रूप में नामित करने के लिए काम कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य टिकाऊ हरित पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए इन क्षेत्रों के पारिस्थितिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करना है।
तकनीकी टीमें इन चूना पत्थर पर्वत क्षेत्रों के महत्व का मूल्यांकन करने के लिए अनुसंधान और परामर्श कर रही हैं। हाल के सर्वेक्षणों ने कई विश्व स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों की उपस्थिति की पुष्टि की है, जो कंबोडिया और दुनिया के वैज्ञानिक अभिलेखों में योगदान करती हैं। जिस प्रकार भारत में पश्चिमी घाट जैव विविधता का भंडार है, उसी प्रकार यह क्षेत्र भी महत्वपूर्ण है।
इन स्थलों का ऐतिहासिक महत्व भी है, जिनमें प्राचीन खमेर शहर के अवशेष और दुर्लभ चूना पत्थर संरचनाएं शामिल हैं। यह क्षेत्र अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है और गुफा प्रणालियों से निकलने वाले लाखों चमगादड़ों के दैनिक दृश्य को देखने के लिए आगंतुकों को आकर्षित करता है। यह दृश्य भारत में भरतपुर पक्षी अभयारण्य में पक्षियों के झुंड की तरह ही अद्भुत है।
हाल की खोजों में "सन स्नेल" की एक नई प्रजाति और जैव विविधता के तीन नए वैश्विक रिकॉर्ड शामिल हैं। ये निष्कर्ष नोम सैम्पोव और नोम बनन को प्राकृतिक विरासत स्थलों के रूप में नामित करने के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। जिस प्रकार भारत में गंगा नदी को स्वच्छ रखने का प्रयास किया जा रहा है, उसी प्रकार इन स्थलों को संरक्षित करना भी महत्वपूर्ण है।