वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने मंगल ग्रह के केंद्र में एक ठोस आंतरिक कोर के अस्तित्व की पुष्टि की है। यह खोज, जो नासा के इनसाइट लैंडर से प्राप्त भूकंपीय डेटा पर आधारित है, मंगल की आंतरिक संरचना और उसके भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में हमारी समझ को महत्वपूर्ण रूप से बदल देती है। यह निष्कर्ष नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं और यह दर्शाते हैं कि मंगल, पृथ्वी की तरह, एक जटिल आंतरिक संरचना रखता है।
इनसाइट लैंडर, जिसने 2018 से 2022 तक मंगल पर काम किया, ने 1,300 से अधिक मंगल भूकंपों का विश्लेषण किया। इन भूकंपों से उत्पन्न होने वाली भूकंपीय तरंगों के अध्ययन से पता चला कि मंगल के कोर के केंद्र में एक सघन, ठोस गोला मौजूद है। यह ठोस कोर लगभग 600 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है और इसके चारों ओर एक तरल बाहरी कोर है। यह संरचना मंगल के आंतरिक भाग के बारे में पहले के अनुमानों को चुनौती देती है, जो इसे पूरी तरह से तरल मानते थे।
इस खोज के महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। एक ठोस आंतरिक कोर का अस्तित्व बताता है कि मंगल ने पृथ्वी के समान एक शीतलन प्रक्रिया का अनुभव किया होगा, जिससे कोर का क्रिस्टलीकरण हुआ। हालांकि, मंगल पर एक वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति इस बात पर सवाल उठाती है कि यह कोर संरचना ऐसे क्षेत्र को उत्पन्न करने में कैसे सक्षम थी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस आंतरिक कोर में लोहे और निकल के अलावा लगभग 12% से 16% सल्फर, 6.7% से 9% ऑक्सीजन और 3.8% तक कार्बन मौजूद है। यह संरचना पृथ्वी के कोर के समान है।
यह नई जानकारी मंगल के भूवैज्ञानिक इतिहास और उसके विकास को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। यह सुझाव देता है कि मंगल का अतीत हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक गतिशील रहा होगा। पहले के अध्ययनों ने मंगल के कोर को पूरी तरह से पिघली हुई सिलिकेट परत से घिरा हुआ माना था, लेकिन हाल के निष्कर्ष इस विचार को संशोधित करते हैं। यह भी पता चला है कि पहले कोर की सतह की गलत व्याख्या की गई थी, और मंगल का कोर वास्तव में पहले के अनुमानों की तुलना में अधिक कॉम्पैक्ट है। यह मंगल पर रसायनों की प्रचुरता के मौजूदा ज्ञान के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करता है।
मंगल के कोर की यह नई समझ हमें यह जानने में मदद कर सकती है कि यह ग्रह अपना चुंबकीय क्षेत्र क्यों खो बैठा, जो कभी मौजूद था। पृथ्वी पर, एक गतिशील कोर एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो ग्रह को सौर हवाओं से बचाता है। मंगल पर इस चुंबकीय कवच का अभाव उसके वर्तमान वातावरण और जीवन की संभावनाओं को प्रभावित करता है। यह खोज भविष्य के मंगल मिशनों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें लाल ग्रह की आंतरिक प्रक्रियाओं और उसके संभावित वासयोग्यता के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करती है। यह शोध ग्रहों के निर्माण और विकास के व्यापक क्षेत्र में योगदान देता है, और अन्य स्थलीय ग्रहों की आंतरिक संरचनाओं के साथ तुलनात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।