जर्मनी के उत्तरी सागर तट पर हेलिगोलैंड द्वीप के पास समुद्र तल से 16 ब्रिटिश तोपों की खोज की गई है। ये तोपें 12-पाउंडर तोपें और कैरोनेड हैं, जो लगभग 1800 ईस्वी के हैं। यह वह दौर था जब हेलिगोलैंड नेपोलियन युद्धों के दौरान एक ब्रिटिश अड्डा था। इन तोपों की पहचान उनकी विशिष्ट विशेषताओं, जैसे 'ब्लोमफील्ड रिंग' से की जा सकती है, जो उस युग की ब्रिटिश तोपखाने की एक खास डिजाइन है। ये खोजें 1990 के दशक से पहले की गई बरामदगियों को और पुष्ट करती हैं, जो द्वीप के पूर्व ब्रिटिश सैन्य चौकी के रूप में महत्व को रेखांकित करती हैं। कील स्थित अनुसंधान डाइविंग कंपनी सबमारिस (Submaris) द्वारा किए गए व्यवस्थित सर्वेक्षणों के दौरान इन तोपों का पता चला, जिसमें कील विश्वविद्यालय का भी सहयोग था। शोधकर्ताओं का मानना है कि ब्रिटिश नौसेना ने 1890 में द्वीप के जर्मन साम्राज्य को हस्तांतरण से पहले जानबूझकर इन तोपों को समुद्र में डुबो दिया था, क्योंकि ये तोपें तब तक तकनीकी रूप से पुरानी हो चुकी थीं।
हेलिगोलैंड का रणनीतिक स्थान, जो जर्मनी के तट से लगभग 30 मील दूर और इंग्लैंड से केवल 300 मील की दूरी पर है, ने इसे सदियों तक ब्रिटिश-जर्मन संपर्क का केंद्र बनाया। नेपोलियन युद्धों के दौरान, ग्रेट ब्रिटेन ने इस द्वीप पर कब्जा कर लिया था, जो महाद्वीपीय यूरोप के खिलाफ ब्रिटिश जासूसी अभियानों, नेपोलियन की 'महाद्वीपीय प्रणाली' को दरकिनार कर माल की तस्करी और किंग की जर्मन लीजन के लिए भर्ती का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया था। 1814 में कील की संधि के माध्यम से, ब्रिटेन ने द्वीप को अपने कब्जे में बनाए रखा, जो उस समय ब्रिटेन के सबसे छोटे औपनिवेशिक कब्जे वाले क्षेत्रों में से एक था। तोपों की पहचान 'ब्लोमफील्ड रिंग' जैसी विशिष्ट विशेषताओं से होती है, जो थॉमस ब्लोमफील्ड द्वारा डिजाइन की गई तोपों की एक पहचान है। ब्लोमफील्ड ने 1780 में तोपखाने के निरीक्षक के रूप में कार्यभार संभाला और तोपों के डिजाइन में सुधार किया, जिससे वे मजबूत और अधिक प्रभावी बनीं। 12-पाउंडर तोपें और कैरोनेड उस समय की नौसेना की महत्वपूर्ण हथियार थीं, जो युद्धपोतों पर इस्तेमाल की जाती थीं। इन तोपों की खोज से हेलिगोलैंड के समुद्री इतिहास और नेपोलियन युद्धों के दौरान इसकी भूमिका के बारे में हमारी समझ और गहरी हुई है।