चीन अपनी राष्ट्रीय मुद्रा, युआन, के वैश्विक उपयोग को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने पर विचार कर रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, चीन युआन-समर्थित स्टेबलकॉइन्स (Yuan-backed stablecoins) पेश करने की योजना की समीक्षा कर रहा है। यह कदम चीन के पहले के कड़े रुख से एक बड़ा बदलाव दर्शाता है, जिसने 2021 में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस पहल का उद्देश्य अमेरिकी डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देना और युआन को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में एक मजबूत स्थान दिलाना है। यह रणनीति चीन की युआन के अंतर्राष्ट्रीयकरण की व्यापक महत्वाकांक्षाओं का हिस्सा है।
हाल के वर्षों में, वैश्विक भुगतान में युआन की हिस्सेदारी घटकर 2.88% रह गई है, जबकि अमेरिकी डॉलर की हिस्सेदारी लगभग 47.19% है। इस अंतर को पाटने के लिए, चीन डिजिटल मुद्रा नवाचार का लाभ उठाने की उम्मीद कर रहा है। स्टेबलकॉइन्स, जो एक स्थिर मूल्य बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और अक्सर फिएट मुद्राओं से जुड़े होते हैं, को सीमा पार लेनदेन को सुगम बनाने के लिए एक प्रभावी उपकरण के रूप में देखा जा रहा है। इस योजना के तहत, हांगकांग और शंघाई को स्थानीय कार्यान्वयन के लिए प्रमुख शहरों के रूप में पहचाना गया है। हांगकांग ने हाल ही में स्टेबलकॉइन्स के लिए एक नियामक ढांचा पेश किया है, जो इसे इस क्षेत्र में एक परीक्षण स्थल के रूप में स्थापित कर सकता है।
यह कदम चीन के सख्त पूंजी नियंत्रणों के बीच एक महत्वपूर्ण संतुलन साधने का प्रयास है, जो सीमा पार वित्तीय प्रवाह को सीमित करते हैं। बाजारों ने इस खबर पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है। शंघाई कंपोजिट इंडेक्स एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिसमें फिनटेक और डिजिटल संपत्ति से जुड़ी कंपनियों में विशेष वृद्धि देखी गई। यह निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है कि चीन की डिजिटल मुद्रा रणनीति वैश्विक वित्तीय परिदृश्य को नया आकार दे सकती है।
चीन की यह पहल शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भी चर्चा का विषय बन सकती है, जो 31 अगस्त से 1 सितंबर तक तियानजिन में आयोजित होने वाला है। यहां, चीन युआन और स्टेबलकॉइन्स के सीमा पार व्यापार और भुगतान में उपयोग को बढ़ाने पर चर्चा कर सकता है। यह कदम चीन की क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (CIPS) जैसी पहलों के साथ संरेखित होता है, जिसका उद्देश्य SWIFT जैसे मौजूदा प्रणालियों के विकल्प प्रदान करना है।
हालांकि, इस रणनीति में कुछ चुनौतियां भी हैं। चीन के कड़े पूंजी नियंत्रणों को नेविगेट करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन स्टेबलकॉइन्स को अपनाना महत्वपूर्ण होगा। इसके अतिरिक्त, अमेरिकी डॉलर-समर्थित स्टेबलकॉइन्स के साथ प्रतिस्पर्धा भी एक प्रमुख कारक होगी। इन बाधाओं के बावजूद, युआन-समर्थित स्टेबलकॉइन्स का संभावित परिचय वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में चीन की भूमिका को मजबूत करने और युआन को एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम का प्रतिनिधित्व करता है।