अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 30 जुलाई, 2025 को ब्राज़ीलियाई आयातों पर 50% शुल्क लगाने का आदेश जारी किया। यह शुल्क 6 अगस्त से प्रभावी होगा और ब्राज़ील की सरकारी नीतियों से संबंधित एक राष्ट्रीय आपातकाल का हवाला दिया गया है।
इस कदम के जवाब में, ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला ने कहा कि यदि 50% शुल्क लागू किया जाता है, तो ब्राज़ील अमेरिकी वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगाएगा। हालांकि, नागरिक विमान, ऊर्जा उत्पाद, संतरे का रस, मानवीय वस्तुएं और सांस्कृतिक उत्पाद को इस शुल्क से छूट दी गई है।
इस घटनाक्रम के बीच, भारत के लिए एक अवसर छिपा हो सकता है। वाणिज्य मंत्रालय के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, ब्राज़ील पर शुल्क लगने से भारत के कृषि और कपड़ा क्षेत्रों को लाभ हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी बाज़ार में ब्राज़ीलियाई उत्पादों की प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी।
हालांकि, इस स्थिति को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करने की आवश्यकता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जवाबी शुल्क की एक श्रृंखला शुरू हो सकती है, जिससे वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ सकती है। भारत को इस स्थिति का लाभ उठाते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, ताकि वह अपने व्यापारिक हितों को सुरक्षित रख सके और वैश्विक व्यापार प्रणाली को स्थिर रखने में योगदान कर सके।
यह समय है कि भारत अपनी नीतियों को फिर से देखे और एक लचीला और अनुकूलनीय व्यापार रणनीति विकसित करे। इसके अतिरिक्त, यह घटनाक्रम भारत को अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में काम कर सकता है। 'मेक इन इंडिया' जैसी पहलों को और अधिक महत्व दिया जाना चाहिए, ताकि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। यह न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि देश को बाहरी झटकों के प्रति अधिक लचीला भी बनाएगा।
कुल मिलाकर, ट्रम्प द्वारा लगाए गए शुल्क एक जटिल स्थिति पैदा करते हैं, जिसमें भारत के लिए अवसर और चुनौतियाँ दोनों हैं। सही रणनीति और दूरदर्शिता के साथ, भारत इस स्थिति का लाभ उठाकर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है और वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर सकता है।