ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में प्रशिक्षित कुत्तों ने त्वचा के नमूनों से पार्किंसंस रोग की पहचान में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। इस शोध में, कुत्तों ने रोगियों और स्वस्थ व्यक्तियों के नमूनों के बीच अंतर करने में उच्च संवेदनशीलता और विशिष्टता दिखाई।
इस अध्ययन में, कुत्तों को त्वचा के सिबम (सीबम) नमूनों से पार्किंसंस रोग की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। परीक्षणों में, कुत्तों ने रोगियों के नमूनों को सही ढंग से पहचाना, जबकि स्वस्थ व्यक्तियों के नमूनों को सही ढंग से नकारा।
यह शोध इस संभावना को उजागर करता है कि कुत्तों की सूंघने की क्षमता का उपयोग पार्किंसंस रोग के शीघ्र और गैर-आक्रामक निदान के लिए किया जा सकता है, जिससे समय पर उपचार संभव हो सकेगा।
हालांकि, इस विधि को व्यापक रूप से लागू करने से पहले और अधिक शोध की आवश्यकता है, ताकि कुत्तों की सूंघने की क्षमता के उपयोग की प्रभावशीलता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।