Text World Theory (TWT) एक संज्ञानात्मक मॉडल है जो यह समझाने का प्रयास करता है कि लोग भाषा से अर्थ कैसे बनाते हैं। यह सिद्धांत यह वर्णन करता है कि कैसे पाठक, श्रोता या संवाददाता किसी भाषा के अंश (जैसे पाठ, भाषण या संवाद) को अपने मन में एक "दुनिया" के रूप में बनाते हैं।
TWT की शुरुआत 1980 और 1990 के दशकों में पॉल वर्थ द्वारा की गई थी। यह सिद्धांत संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान, संभाव्य दुनिया तर्क, और साहित्यिक सिद्धांतों से प्रभावित है। इसके अनुसार, मानव संचार की प्रक्रिया में पाठक या श्रोता अपने पृष्ठभूमि ज्ञान, दृष्टिकोण और भावनाओं का उपयोग करके मानसिक प्रतिनिधित्व या "पाठ दुनिया" का निर्माण करते हैं।
ब्रांडिंग और मार्केटिंग में, TWT का उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि कंपनियां अपने उत्पादों और सेवाओं के लिए एक विशिष्ट 'पाठ दुनिया' कैसे बनाती हैं। यह दृष्टिकोण यह विश्लेषण करने में मदद करता है कि कैसे दृश्य और पाठ्य तत्व उपभोक्ताओं की अवधारणाओं को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, विज्ञापनों में प्रयुक्त चित्र और शब्द उपभोक्ताओं के मानसिक प्रतिनिधित्व को आकार देते हैं, जिससे ब्रांड की पहचान और उपभोक्ता के साथ संबंध मजबूत होते हैं।
इस प्रकार, Text World Theory ब्रांडिंग और मार्केटिंग में एक प्रभावी उपकरण है, जो यह समझने में मदद करता है कि कैसे कंपनियां अपने संदेशों को उपभोक्ताओं के मानसिक प्रतिनिधित्व के अनुरूप ढाल सकती हैं, ताकि एक मजबूत और प्रभावी ब्रांड छवि बनाई जा सके।