कॉमेडियन जॉर्ज कार्लिन ने 1972 में "सेवन वर्ड्स यू कैन्ट से ऑन टेलीविज़न" नामक मोनोलॉग प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने उन सात शब्दों की चर्चा की जिन्हें अमेरिकी प्रसारण मीडिया में अश्लील माना जाता था।
इस मोनोलॉग के बाद, 1973 में न्यूयॉर्क के WBAI रेडियो स्टेशन ने कार्लिन के "फिल्थी वर्ड्स" नामक रूटीन का प्रसारण किया। एक श्रोता ने इस प्रसारण पर आपत्ति जताई, जिसके परिणामस्वरूप 1978 में FCC बनाम पैसिफिक फाउंडेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रसारण मीडिया में अश्लीलता पर अंकुश लगाने के लिए FCC के अधिकार को मान्यता दी।
डिजिटल युग में, इंटरनेट और सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नया आयाम दिया है। हालांकि, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर भी अश्लीलता, मानहानि और अदालत की अवमानना जैसे विषयों पर प्रतिबंध लागू हैं।
कार्लिन का यह रूटीन आज भी यह याद दिलाता है कि भाषा कैसे बदलती है और सेंसरशिप पर सवाल उठाना कितना महत्वपूर्ण है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को संतुलित करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका उपयोग घृणा या हिंसा को भड़काने के लिए न किया जाए।