हट्टुसा, प्राचीन हित्ती साम्राज्य की राजधानी, में हाल ही में एक नई इंडो-यूरोपीय भाषा की खोज की गई है। यह भाषा एक मिट्टी की गोलिय में कीलाकार लिपि में लिखी गई थी, जो बोगाज़कोय-हट्टुसा में की गई खुदाई के दौरान मिली।
इस खोज में जर्मन पुरातात्विक संस्थान के प्रोफेसर एंड्रियास शाच्नर और यूनिवर्सिटी ऑफ वुर्ज़बर्ग के प्रोफेसर डैनियल श्वेमर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हट्टुसा में अब तक लगभग 30,000 कीलाकार लिपि में लिखी गई गोलियाँ मिली हैं, जो हित्ती साम्राज्य के इतिहास, समाज, अर्थव्यवस्था और धार्मिक परंपराओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं।
इस नई भाषा को 'कलास्मा' कहा गया है, जो हित्ती साम्राज्य की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर स्थित एक क्षेत्र से संबंधित है। हालांकि, इस भाषा का पाठ अभी पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, लेकिन यह अनातोलियन इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार से संबंधित माना जाता है।
यह खोज प्राचीन अनातोलिया की सांस्कृतिक विविधता को उजागर करती है और कांस्य युग के दौरान विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बीच संपर्क को समझने में मदद करती है।
हट्टुसा में कीलाकार लिपि में लिखी गई गोलियाँ हित्ती साम्राज्य के धार्मिक अनुष्ठानों, कानूनी दस्तावेजों और साहित्यिक रचनाओं का महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जो उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करती हैं।
कलास्मा भाषा की खोज प्राचीन अनातोलिया की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मानव इतिहास के रहस्यों को उजागर करने में सहायक है।