भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 के दौरान भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। शुद्ध एफडीआई घटकर 0.4 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष दर्ज किए गए 10.1 बिलियन डॉलर से 96% की गिरावट है। यह गिरावट मुख्य रूप से प्रत्यावर्तन और बाहरी प्रवाह में वृद्धि के कारण है, जो निवेश पैटर्न के विकास को दर्शाता है।
शुद्ध एफडीआई में तीव्र गिरावट के बावजूद, वित्त वर्ष 25 में सकल एफडीआई अंतर्वाह मजबूत बना रहा, जो निवेशकों के निरंतर विश्वास को दर्शाता है। सकल एफडीआई में साल-दर-साल 13.7% की वृद्धि देखी गई, जो 81 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। आरबीआई का सुझाव है कि शुद्ध एफडीआई में गिरावट एक परिपक्व बाजार को दर्शाती है, जहां विदेशी निवेशक अधिक आसानी से भारतीय बाजार में प्रवेश और बाहर निकल सकते हैं।
भारत सरकार विदेशी निवेश को और आकर्षित करने के लिए सक्रिय रूप से उपाय लागू कर रही है। इन पहलों में नियमों को सरल बनाना, व्यावसायिक कार्यों को सुव्यवस्थित करने के लिए समितियों की स्थापना करना और बीमा क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय सीमा को 100% तक बढ़ाना शामिल है। इन प्रयासों का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में आकर्षण को बढ़ाना और शुद्ध एफडीआई में हालिया गिरावट का मुकाबला करना है।